
सार तत्व जिन्दगीका कथन रहेनन्
पिरको भारी बोकी हिड्ने बदन रहेनन् ।

बिनाहाँसो बिनाखुसी चलिरह्यो सधैँ जीवन
सुख देखाउने पत्रोका ति तदन रहेनन् ।
संविधानको कु तर्फ लम्किरह्यो सधैँ शासन
बहुमतले पठाएका सदन रहेनन् ।

सत्ता भत्ता कुर्सी जस्तै समय नि खेलिरह्यो
उदार हृदयी जननेता मदन रहेनन् ।
सार तत्व जिन्दगीका कथन रहेनन्
सुख देखाउने पत्रोका ति तदन रहेनन् ।
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